अमावस की थी रात
न सूरज, न चाँद
किसी ने न दिया था साथ
सितारे जो दूर थे न दिखते थे दिनभर
उन्होंने ही है राह दिखाई शबभर
राहें रोशन तो न कर पाए ये तारे
पर दिशा दिखाते रहे रातभर ये सारे
जब टूट गया था हर साथ
ये ही तो थामें रहे थे हाथ
दूर से ही सही
मद्धम थी रोशनी
बस इक झिलमिलाहट ने
स्याह अन्धेरे को ललकारा था
कट न पाया अन्धेरा तो क्या
हौसला इन्होंने ही तो बंधाया था …
bahut sundar.
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धन्यवाद …. जीवन में सितारों की तरह कुछ लोग विपरीत परिस्थितियों में दूर से ही हौसला देते हैं …जब अपने साथ छोड़ दिया करते हैं
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