जितनी चोट तुम देते हो
दिल पर मेरे
कोई उनका हिसाब
मांगेगा क्या तुमसे कभी
मेरे आँसुओं का मोल
होगा क्या किसीको कहीं
इस दर्द के बदले
बद्दुआ भी निकलती नही
बस आँखों के रास्ते
रिस जाता है दर्द
आहिस्ता आहिस्ता
बूँद बूँद
आह भी अटक सी जाती है
सीने मे ही कहीं