मेरे हर कण में है समायी तू
हो कर दूर मुझसे है तू जुदा कहाँ
मेरे हर आँसू मे है साथ तू रोई
हर ख्वाब की है ताबीर तू
हर सोच की है नीव तू
समायी है रग रग में
बही हर बूँद में
मेरे रूप मे स्वरूप में
मेरे हाव मे और भाव मे
मेरी क्रिया में प्रतिक्रिया मे
माँ , तेरी ही तो हूँ
बस इक तस्वीर मै…
Atisundar.
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Thank u😊
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