बिझड़ने से ही लोग
जुदा नही होते
पास होकर भी ऐ दोस्त
फ़ासले बहुतेरे हैं
दरियाओं से ही सिर्फ
समन्दर नहीं बनते
इन आँखों से भी बहे
सागर बहुतेरे हैं
आग से ही नही जले
आशियाने दुनिया में
शक ने भी किये खाक
रिश्ते बहुतेरे हैं
बिझड़ने से ही लोग
जुदा नही होते
पास होकर भी ऐ दोस्त
फ़ासले बहुतेरे हैं
दरियाओं से ही सिर्फ
समन्दर नहीं बनते
इन आँखों से भी बहे
सागर बहुतेरे हैं
आग से ही नही जले
आशियाने दुनिया में
शक ने भी किये खाक
रिश्ते बहुतेरे हैं