शीशों के घरौंदे शीशों के घरौंदे हैं और पत्थर के देवता अहसासों पे बर्फ और रिश्तों पे काई आशियाना तो मेरा कब का तिनका तिनका हो चुका AdvertisementShare this:TwitterFacebookLike this:पसंद करें लोड हो रहा है...