हर ज़ख़्म रूह पर निशान छोड़ गया
हर घाव शख्सियत हमारी बदल गया
ढूंढने पर भी न पा सके खुद को
अक्स भी अपना पराया हो गया
न जाने वक्त बदल गया
कि आइना बदल गया

हर ज़ख़्म रूह पर निशान छोड़ गया
हर घाव शख्सियत हमारी बदल गया
ढूंढने पर भी न पा सके खुद को
अक्स भी अपना पराया हो गया
न जाने वक्त बदल गया
कि आइना बदल गया
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