कहा जिन्दगी के अन्धेरो ने
मेरे घर के जलते दियों से
बुझाने तुम्हें मैं आऊंगा हर रात
जलते रह सको है कहाँ तुममें वह बात
दिया मेरा फड़फड़ाता रहा
तेल और बाती का था उसको साथ
अन्धेरों ने हवाओं को था भेजा
जूझता रहा दिया मेरा
आस का थाम हाथ
सवेरे का उसको सहारा था
समय ने इक वादा जो निभाना था
न रहूँगा एकसा हरदम
अन्धेरों के बाद
तो रोशनी को ही आना था …..

‘…अन्धेरों के बाद
तो रोशनी को ही आना था’ बहुत सुन्दर.
2016-04-26 5:46 GMT-07:00 mridulkhanduri :
> mriudulkhanduri posted: “कहा जिन्दगी के अन्धेरो ने मेरे घर के जलते दियों
> से बुझाने तुम्हें मैं आऊंगा हर रात जलते रह सको है कहाँ तुममें वह बात दिया
> मेरा फड़फड़ाता रहा तेल और बाती का था उसको साथ अन्धेरों ने हवाओं को था भेजा
> जूझता रहा दिया मेरा आस का थाम हाथ सवेरे का उसको सहारा था समय”
>
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Thank u Indira ji
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beautiful!
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