त्यागी क्यों हे राम
हर हाल में
सीता ही जायेंगी
परीक्षा की अग्नि में
तपकर भी
सोना न हो पायेगी
अपनों को त्यजकर
संग तुम्हारे वह आयेगी
राजसी वैभव त्याग
संग तुम्हारे वन को भी जायेंगी
त्यागी क्यों हे राम
हर हाल में , पर
सीता ही जायेंगी
चाहे तेज से अपने
मर्यादा तुम्हारी बचायेगी
जब भी लक्ष्मण की रेखा
लाँघकर सीता कोई जायेगी
नियति यह ही हरबार
जग में दोहराई जायेगी
त्यागी हर हाल में तो
हे राम, सीता ही जायेंगी
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very deep and what a beautiful way to write down …keep writing
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बहुत ही अच्छा लिखा है और सही भी।
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