लगता है डर
युद्ध की आहट से
तुम्हारे द्वार तक पहुंचने से पहले
मेरे घर से होकर वो जायेगा
छाती ठोकोगे तुम विजय मे
पर सीने पर गोली मेरा अपना खायेगा
वतन रहेगा सुरक्षित हमारा
घर मेरा बस तार तार हो जायेगा
युद्ध की चाह से पहले बस
इक कतरा आँसू मेरे लिये भी रख लेना
डरतें हैं इस आग में
अस्तित्व हमारा खण्डहर हो जाएगा
Dil ko chho rahi hai ye panktiyan.
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