हर कोई आज एक योद्धा है
बना किसी न किसी का हथियार है
लड़ने को खड़ा हमेशा तैयार है
किसी भी बात से हो जाता नाराज है
खुद भक्त तो दूसरा गद्दार है
युद्ध के लिए करता प्रयास है
किस से लड़ना है इससे अनजान है
बन गया है मोहरा किसी का
जानता तो है
पर मानने को नहीं तैयार है
nice one
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Khoobsoorat Rachna!!!
Check out my blog also to experience the magic of letters.
Hope you will like it:)
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ठीक लिखा है आपने. बहुत खूब !!
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बहुत ही सही लिखा है आपने।
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