छलकने दो हर घृणा को निकलने दो हर विष को छलकने दो तब शायद हो कुछ दिल मे जगह खाली प्यार को फिर वहाँ थोड़ा सा पनपने दो Share this:TwitterFacebookLike this:पसंद करें लोड हो रहा है...
bahut sundar.
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Thank u Indira ji ..bahut samay baad?
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Attending social commitments dear. Thanks for concern.
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मृदुल जी आपने बहुत ही अच्छा लिखा है।
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