तुम आ ही जाती हो
कभी मेले में तो कभी अकेले मे
कभी चुपके से तो कभी रेले में
तुम आ ही जाती हो
कभी दरवाजे से तो कभी किसी कोने से
सुबह की धूप सी तो कभी अघजगी रातों से
तुम आ ही जाती हो
पुरानी धुन सी कभी
तो सावन में झूलों सी कभी
तुम आ ही जाती हो
आँखों की निपोरो मे कभी
हँसी की गुदगुदी में कभी
तुम आ ही जाती हो
बीते हुए लम्हों की यादें
तुम आ ही जाती हो
बहुत खूबसुरत कविता …..😊😊
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Thank you😊
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