ये तो वह जगह नहीं
ये तो वह मंजिल न थी
पहुंचे हैं हम आज जहां
ऐसी तो कभी ख्वाहिशें न थी
चले थे ख्वाब आँखों में लेके
बसायेंगे जहान सितारों से आगे
गर्दिशो ने राह की पकड़े जो कदम
उड़ तो न पाये पर सीधी सी राह पर
चलना भी है भूल गये हम
जीती थी आज़ादी
बड़ी जिद्दोजहद से कभी
आज खुद ही हुए हैं परेशान
इक दूजे की परवाज़ों से हम
नहीं है ये वो तस्वीर
जिसकी ताबीर सज़ाई थी आँखों में
कहाँ चूक हुई, क्यों अपनों के ही
दुश्मन बन गए हैं हमp
Deep thought provoking and touching words 👌👌
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Yes dear ab to sirf soch hi sakte hain..karne ka time lagta hain phinisss😊
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