खो गये हो तुम कहाँ
समझ नही आता है
रात को भी चाँद
अब इधर नही आता है
तारों का काफिला
न जाने कब गुज़र जाता है
आँखों में भी तो अब
कोई ख्वाब नहीं समाता है
यादों की चादर
सिकुड़ सी गई है कुछ
ढकते हैं टीस तो
ज़ख़्म नज़र आता है
खो गये हो तुम कहाँ
समझ नही आता है
रात को भी चाँद
अब इधर नही आता है
तारों का काफिला
न जाने कब गुज़र जाता है
आँखों में भी तो अब
कोई ख्वाब नहीं समाता है
यादों की चादर
सिकुड़ सी गई है कुछ
ढकते हैं टीस तो
ज़ख़्म नज़र आता है
बहुत खूब लिखा आपने
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