हर बार तुम कहानी फिर
वही दोहरा देते हो
चेहरा अपना छिपाने को
कालिख मेरे लगा देते हो
राम तो तुम बन न सकोगे
पर सीता फिर बना देते हो
हर बार तुम कहानी फिर
वही दोहरा देते हो
डरते हो मेरे तेज से
तो मर्यादा मुझे उड़ा देते हो
करते हो अपमानित मुझे
और लांछन मुझे ही लगा देते हो
हर बार तुम कहानी फिर
वही दोहरा देते हो