ज़रूरत नही तलवार
या किसी हथियार की
हराने को तुम्हें
मेरी हिम्मत ही काफी है
मेरे बढते कदम से ही तुम
घबरा जाओगे
डराने को तुम्हें
मेरी रफ्तार ही काफी है
झूठ से दीवारें चिनाई हैं तुमने
नीव तुम्हारी दरकाने को
मेरी चिंघाड़ ही काफी है
डर के शोर से बहरी है
सेना तुम्हारी
रण छोड़ भगाने को
निशब्द प्रातिकार ही काफी है
shandar ……bahut khub likha hai…
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Thank u
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Wah….
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