तू बुद्ध तू प्रबुद्ध
मैं अहंकार
मूर्ख सतत विकार
तू व्याप्त अलौकिक प्रकाश
मै नश्वर बिन्दु समान
तू भीतर बाहर बहुआयाम
मैं जीवन मे बन्धा अज्ञानी अंधकार
तू कण तू बृहमा्न्ण
मै विस्मृत चकित पदार्थ
तू आकार तू निराकार
तू ही मेरे भीतर विद्यमान
शब्दों में नामों मे ॻन्थो मे
उलझा मै अन्भिग्य अभिमान
तू दयावान ईश्वर भगवान
करो कल्याण करो कल्याण
Ati sunder aur param satya 👌👌
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Thank u Mamta..
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Amazing..
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