क्या करें कि हमको भी
थोड़ी सी अक्ल आ जाये
उम्र के इस दौर में
हम भी थोड़ा संभल जायें
थोड़ा सा हँसे कम
और ज़रा सा मुस्कुराए
हर बात पर उछल कर
हम न बिफर जायें
ज़माने को बदलने की
इस जिद्द को थोड़ा बिसर जायें
वक्त की हालात की
संजीदगी हमको भी समझ आये
ए काश के हम जमाने से
थोड़ा सा तो डरें
और पालतू बन जायें