हिम्मत

ज़रूरत नही तलवार
या किसी हथियार की
हराने को तुम्हें
मेरी हिम्मत ही काफी है
मेरे बढते कदम से ही तुम
घबरा जाओगे
डराने को तुम्हें
मेरी रफ्तार ही काफी है
झूठ से दीवारें चिनाई हैं तुमने
नीव तुम्हारी दरकाने को
मेरी चिंघाड़ ही काफी है
डर के शोर से बहरी है
सेना तुम्हारी
रण छोड़ भगाने को
निशब्द प्रातिकार ही काफी है

 

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दोस्त मेरे

गालियों से भी
उम्र मेरी बढ़ा
जाते हो तुम
याद आओ न आओ
भुलाए नही
जाते हो तुम
अमावस की रात के
जैसे सितारे हो तुम
काली हो जितनी रात उतना ही
तेज़ झिलमिलाते हो तुम
याद आओ न आओ
भुलाए नही जाते हो तुम

कहानी फिर वही

हर बार तुम कहानी फिर
वही दोहरा देते हो
चेहरा अपना छिपाने को
कालिख मेरे लगा देते हो
राम तो तुम बन न सकोगे
पर सीता फिर बना देते हो
हर बार तुम कहानी फिर
वही दोहरा देते हो
डरते हो मेरे तेज से
तो मर्यादा मुझे उड़ा देते हो
करते हो अपमानित मुझे
और लांछन मुझे ही लगा देते हो
हर बार तुम कहानी फिर
वही दोहरा देते हो

टीस

खो गये हो तुम कहाँ
समझ नही आता है
रात को भी चाँद
अब इधर नही आता है
तारों का काफिला
न जाने कब गुज़र जाता है
आँखों में भी तो अब
कोई ख्वाब नहीं समाता है
यादों की चादर
सिकुड़ सी गई है कुछ
ढकते हैं टीस तो
ज़ख़्म नज़र आता है

तुम राजनीति बहुत करते हो

गीता और कुरान में
तुम फूट डालने की
कोशिश करते हो
यार तुम
राजनीति बहुत करते हो
डरते हो हारने से
इसलिए तोड़ते हो लोगों को
बहादुर बनने की कोशिश
तो तुम बहुत करते हो
यार तुम
राजनीति बहुत करते हो
सदियों से न जाने कितने जिस्म
समा गए इस मिट्टी में
अब हर कतरे को
इस ख़ाक से अलग
करने की कोशिश करते हो
यार तुम
राजनीति बहुत करते हो
अन्धेरों को रहनुमा बनाते हो
रोशनी मे खुद से ही डरते हो
लफ्जों से सूरज को
ढकने की कोशिश करते हो
यार तुम
राजनीति बहुत करते हो

चल पड़े हैं जब ज़ानिबे मंजिल
हमकदम मिले न मिले
राहे नक्शेकदम से गुलज़ार रहे
मंजिलें  मिले न मिले

भक्ति राग

मन्त्रमुग्ध तुम स्वयं पर
मस्त अपनी विजय पर
भूल धरातल को तुम
उड़ोगे ऊँचे आसमान में
खुद के ही शोर से
बहरे होते तुम
शब्द अब तर्क के
सुनाई तुम्हें देते नही
कर्णप्रिय लगते तुम्हें
केवल स्वयं के भक्ति राग
अपने ही गढे झूठ में
सही गलत से दूर तुम