दर्द अब दिल को तड़पाता भी नहीं
रातों को नीन्दों से जगाता भी नहीं
वक्त ने ज़ख़्म भर दिए हैं शायद
पर ये खा़ली सा अहसास जाता भी नहीं
दर्द अब दिल को तड़पाता भी नहीं
रातों को नीन्दों से जगाता भी नहीं
वक्त ने ज़ख़्म भर दिए हैं शायद
पर ये खा़ली सा अहसास जाता भी नहीं