तकदीरें बदला नही करती
वक्त के साथ भर जाता है घाव
रफ्तार जिन्दगी की रुका नही करती
लकीरें हथेली की घिस जाती हैं
नियति फिर भी पलटा नही करती
थक जाते हैं मन पाँव शरीर
मंजिले अपनी जगह से हिला नहीं करती
सूख जाते हैं सागर दरिया
सूरज की गर्मी कम हुआ नही करती
धूप ढल जाती है जीवन की मु्ंड़ेर से
परछाईं यादों की साथ छोड़ा नही करती
जिन्दगी तकदीरों से लड़ा नहीं करती
क्योंकि
तकदीरें ऐ दोस्त बदल नही करती