जागो

जागो भी
अब जागने की बारी तुम्हारी है
कब तक सोती रहोगी
अब होश में आने की बारी तुम्हारी है
जाते रहे लोग तुम पर कदम रख कर
देवी बना चिनवाते रहे मूर्तियों में
तुम चुप रहीं सोती रही
दायरे बनाते रहे रेखाएँ खीचते रहे
तुम कटघरे मे बँधती रही
मौन सोती रही
अपनी खुशी के लिए इस्तेमाल करते रहे
वो बाँधते रहे तुम बँधती रही
मर्यादाएं ओढ़ती रहीं ढकती रहीं
सीमाएं लाँधने की सजा सहती रही
खामोश सोती रही
जागो भी अब
जागने की बारी तुम्हारी है
अब बेटियां तुम्हारी
बाँधी जायेंगी चिनवायी जायेंगी
तुमसे भी ज्यादा सताई जायेंगी
सोती रहोगी क्या फिर भी
फिर तो धिक्कारी जाओगी
औलादों से भी अपनी
तो जागो अब
क्योंकि जागने की अब
बारी तुम्हारी है
बेटियों को अपनी बचाने की
अब जिम्मेदारी तुम्हारी है