रातें मेरी जिंदगानी न हुई
बातें तेरी कहानी न हुई
फासलों के सिलसिले ही रहे
हसरतें कभी मंज़िल न हुई
दर्द की कद्रदानी न हुई
खुशियों की निगहबानी न हुई
लबों पे तंज़ अटके ही रहे
आँखों की हँसी से यारी न हुई
नींदो की खुमारी न हुई
सपनों की राजदारी न हुई
ख्वाब दहलीज़ पर ठिठके से रहे
सुबह की किसी को इन्तज़ारी न हुई
very beautifully written Mridun aunty! 🙂
पसंद करेंLiked by 1 व्यक्ति
Thank u for lik
पसंद करेंपसंद करें